ट्रेन का सफर...
दो अलग-अलग शहर में रहते हुए, हमारी इन्टरनेट पर मुलाकात हुई ! बातों का सिलसिला चलता रहा और एक दिन मुझे पता चला कि वो पंजाब से अहमदाबाद जा रही है ! उसकी ट्रेन को मेरे शहर - दिल्ली से ही गुजरना था ! रात को करीब साढ़े-नो बजे (9.30) ट्रेन - सर्वोदय एक्सप्रेस नई दिल्ली प्लेटफार्म पर आनी थी ! मैं उससे मिलने से लिए बहुत ही उत्साहित था ! आखिर, हमारा बातों का सिलसिला कई महीनो से जो चल रहा था।

घर पर, अपने दोस्त के साथ पढने का बहाना बनाके, मैं उससे मिलने के लिए चला गया ! रेलवे स्टेशन पर ठीक साढ़े-नो बजे पहुचके, मैं ट्रेन का इंतज़ार करने लगा ! ट्रेन (सर्वोदय एक्सप्रेस), अपने समय से आधा घंटा लेट थी ! उससे मिलने के चाह में समय जैसे थम सा गया था ! हर एक पल, मैं उसी के ख्यालों में खोया हुआ था ! ट्रेन लेट होने की वजह से, अब दस बज चुके थे ! आखिरकार, ट्रेन स्टेशन पर आई ! अब मैं बेताबी से उसको ढूंढ़ रहा था ! उसके बताये हुए डब्बे पर जा कर मैं उसकी सीट की तरफ चलने लगा ! ट्रेन के उस कम्पार्टमेंट मैं वो अकेली बैठी थी ! ऐसा लग रहा था कि, इंतज़ार की वो घड़ियाँ, उस पर भी भारी थी ! उसने मुझे देखते ही मेरा नाम लिया और, मैंने उसका! हम दोनों, पहली बार उस ट्रेन के डिब्बे में मिले।

मैंने मिलते ही उसे गले लगा लिया ! ऐसा लग रहा था की मैं उसे बताना चाहता था कि मैंने उसे कितना मिस किया! हम लोग, काफी देर तक, एक दुसरे के गले लगे रहे! ट्रेन को स्टेशन पर करीबन आधे घंटे रुकना था ! और, मैं यह आधा घंटा उसकी बाँहों में ही बिताना चाहता था ! सोच रहा था कि, न जाने फिर कब हमारी मुलाकात होगी ! यह बात उसके भी मन में थी, इसीलिए शायद उसने भी मुझे अपने से बिलकुल अलग नहीं होने दिया ! जो वक़्त कुछ देर पहले कट नहीं रहा था, वो अब थमने को तैयार नहीं था ! लग रहा था की समय अपनी गति से बहुत तेज़ चल रहा है ! और फिर, ट्रेन के चलने का समय हो गया ! मुझसे उसका साथ, जैसे छोड़ा ही नहीं जा था ! मैं चाहता था कि ट्रेन, वहीँ स्टेशन पर, रुक जाये ! मेरा ट्रेन से नीचे उतरने का बिलकुल भी मन नहीं था ! उस वक़्त मैंने फैसला किया कि मैं उसके साथ ही रहूँगा और अगले स्टेशन पर उतर जायूँगा ! मेरा ख्याल था कि अगला स्टेशन - फरीदाबाद होगा ! ट्रेन में दिल्ली से फरीदाबाद का सफ़र करीबन एक घंटे का था ! यह जानते हुए भी की मैं बिना टिकट हूँ, मैंने उसके साथ ट्रेन के उस सफ़र का आनंद लेने का फैसला किया ! और ट्रेन दिल्ली स्टेशन से छूट गयी…

वो मेरे इस फैसले से बहुत खुश थी पर उसे मेरी चिंता भी थी ! मैंने उसे भरोसा दिलाया की मुझे कोई परेशानी नहीं होगी ! हम दोनो, ट्रेन के उस खाली कम्पार्टमेंट में, एक दुसरे का हाथ पकड़ कर, बात कर रहे थे ! वो बात करते हुए मेरे हाथ को सहला रही थी ! धीरे-धीरे वो मेरे करीब आई और उसने अपने कपकपाते होटों को मेरे होटों पर रख दिया ! ऐसा लग रहा था कि वो मुझे उसके साथ रुकने का इनाम दे रही है ! दिल में बगैर-टिकट होने के डर को भुला कर, अब में उसके कोमल होटों को चूम रहा था ! मेरे दोनों हाथ उसके बालों को सहला रहे थे और मैं उसको किस कर रहा था ! हम दोनो, एक दुसरे के साथ कई मिनट्स तक जुड़े रहे ! मेरा हाथ अब उसके बदन को हर जगह स्पर्श कर रहा था ! प्यार का वो अहसास मुझे आज भी याद है…

ट्रेन की गति अब बहुत तेज़ हो चुकी थी ! मैंने ट्रेन की खिड़की से बाहर देखा तो पाया कि फरीदाबाद स्टेशन आने वाला है ! पर यह क्या, ट्रेन तो फरीदाबाद स्टेशन पर रुकी ही नहीं ! उसकी गति तो, और भी तेज़ होती जा रही थी ! मैं हैरान था ! ट्रेन का अब तक का वो सुहावना सफ़र, अब मुझे चिंता में डाल रहा था ! मुझे चिंता में देखकर, अब वो भी घबराने लगी थी! मैंने साथ के कम्पार्टमेंट में जा कर पूछा कि यह ट्रेन फरीदाबाद स्टेशन पर क्यूं नहीं रुकी ! मुझे पता चला, कि दिल्ली स्टेशन से यह ट्रेन "सर्वोदय एक्सप्रेस" से तब्दील हो कर - "जम्मू-तवी" सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस बन जाती है और अब यह किसी भी छोटे स्टेशन पर नहीं रुकेगी ! यह सुनकर मेरे जैसे होश ही उड़ गये ! रात को देर हो जाने से और बगैर-टिकट होने की वजह से, मैं बहुत घबराने लगा था ! उस वक़्त मेरा सारा प्यार रफू-चक्कर हो चुका था और मुझे सिर्फ घर जाने की चिंता हो रही थी! ख़ैर, एक घंटे बाद, मथुरा स्टेशन आया ! ट्रेन वहां रुकी और मैं बाहर आया ! मैंने अपनी दोस्त को एक आखरी बार गले लगाया, उससे विदाई ली ! मैंने उसे यकीन दिलाया कि, मैं आराम से घर पहुच जायूँगा ! उसका, ट्रेन की खिड़की से मुझे मुस्कराते हुए देखना, मुझे आज भी याद है।

रात आधी बीत चुकी थी ! मैंने वापसी की टिकट ली और अगली ट्रेन में बैठ गया ! मुझे याद नहीं की वो कौन सी ट्रेन थी पर वो हर स्टेशन पर रुक रही थी ! शायद, मैं एक पैसेंजर ट्रेन में बैठ गया था ! रस्ते के सभी स्टेशन जैसे- गोविन्द फुर, छ्हत, खोसि, पलवल, बल्लब्गढ़ और फरीदाबाद पर वो ट्रेन रुकी ! मैं सुबह के 6 बजे घर पंहुचा ! सारी रात ना सोने के कारण, मैं थक गया था पर मेरे दिल में उससे मिलने की मीठी-मीठी यादें थी ! ट्रेन का वो सफ़र मैं कभी नहीं भूलूंगा ....


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