जब मैं शर्म से लाल हुई...
मेरे पति यू.पी पुलिस (UP पुलिस) में थे, और हम लोग बरेली में पोस्टेड थे! हम लोगो को बड़ा सा पुलिस क्वार्टर मिला हुआ था! जिसमे मै, मेरे पति और हमारे दो बच्चे रहते थे! मेरे बच्चो की उम्र उस समय 4 साल (लड़का) और 6 साल (लड़की) थी! हम लोगो के ही बगल वाले घर में एक और फेमिली थी, वो भी मेरे पति के साथ यू.पी पुलिस में थे! हम लोगो का एक दुसरे के घर आना जाना, एक साथ खाना पीना चलता रहता था!

ऐसे ही एक बार हमारे पड़ोस के भाई साहेब के घर उनकी मौसी के लड़के का आना हुआ! वो लड़का शायद कॉलेज में था! देखने में सुन्दर, बात करने में सुशील और हसने हसाने वाला था! वो शायद 6-7 दिन के लिये बरेली उनके पास आया हुआ था! अब भाभी जी ने उसका हम लोगो से परिचय करवाया! तो कभी वो हमारे घर पर जब कभी उसकी पसंद का खाना बनता आ जाता! हमें भी अच्छा लगता! मुझे भी वो भाभी जी कह कर और मैं उसे देवर जी कह कर बुलाते!

हम लोगो का एक देवर भाभी वाला रिश्ता था, एक पारिवारिक रिश्ता जिसे कहते हैं! हम लोगो के यहाँ एक कुतिया (फीमेल डॉग) भी थी, जो प्रेग्नेंट थी! एक रात उसने 4 बच्चो को जन्म दिया! और अगले दिन सुबह की ठंडी में और हमारे अर्दली (पुलिस में हेल्पर) ने उस कुतिया और उसके बच्चो को बाहर धुप में रख दिया! उस दिन मेरे बच्चे भी घर पर थे और मैं घर में गोभी के पराठे बना रही थी कि, दुसरे घर से देवर जी की आवाज आयी! भाभी जी क्या गोभी के पराठे बना रही हो? मैंने कहा हाँ! देवर जी बोले भाभी जी वो मेरे भी पसंद के हैं, मैं भी आ रहा हूँ!

थोड़ी देर में वो हमारे आँगन में धुप में बच्चो, कुतिया और उसके बच्चो के साथ बैठे थे! मैं उनके लिये गोभी के पराठे तैयार कर, सभी को गरम गरम पराठे खिला रही थी! नाश्ता करने के बाद हम सभी लोग मुढे पर बैठ गए कि, मेरे छोटे लड़के ने मुझसे पुछा, मम्मी इस कुतिया ने ये बच्चे कैसे दिये? उसका इतना पूछना, और फिर देवर जी से मेरी नजरों का मिलना मेरे अंदर शर्म पैदा कर रहा था, और मैं शर्म के मारे कुछ नहीं कह पा रही थी! और मुझे ऐसा लगा मानो जैसे मैं शर्म के मारे लाल हो गयी थी!

तभी देवर जी ने बात को संभाला और बोले, बेटा कल रात को जब आप सो गए थे, तब एक परी आयी, और ये बच्चे इस कुतिया के पास रखकर चली गयी! देवर जी का जवाब सुनने के बाद मुझे शान्ति पढ़ी! लेकिन उस दिन मैं देवर जी से आँख नहीं मिला पाई!


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