एक रंगीला शराबी क़बाबी...
वैसे तो मैं अपने दोस्तों में रंगीले स्वभाव के कारण बहुत प्रसिद्ध हूँ! दूसरा अपनी आवाज़, अपना स्टाइल और अपनी अदाकारी भी लोगो को बहुत भाति है, शायद यही कारण है की आज शराब पीने के बाद भी, लोग प्यार से कभी कभी मुझे, रंगीला शराबी क़बाबी कहने से नहीं चूकते!

बात 1992 की है, जब मैं अपने कजिन भाई की शादी में ऋषिकेश से श्रीनगर (गढ़वाल, उत्तराखंड) गया! हम लोग लड़के वालो को और से थे! अपने लड़कपन, सीधे-सीधे बात करना और सुर में गाने के कारण सभी लोग (जो नहीं भी जानते थे), वो भी पहचान गए कि, मैं दुल्हे का मौसेरा भाई हूँ!

रात को बरात में हमने भी पी ली और अच्छा डांस किया! वरमाला और खाना करीब 1 बजे ख़त्म हो गया तो अब फेरो की बारी थी लेकिन फेरो का समय सुबह 6 बजे का था! लड़की वालो की और से भाभी की सहेलिया (जो करीब 8-10 रही होंगी) आयी हुई थी! उनमे से एक तो गज़ब की थी! अब हम लोग आमने सामने बैठ गए और एक दुसरे पर ताने कसने लगे! फिर गानों का दौर शुरू हुआ और मेरी आवाज़ सुनकर भाभी की सहेलियो के तो होश ही उड़ गये, वो मेरे पीछे पढ़ गयी और, उनकी और से गानों डिमांड आनी शुरू हो गयी!

उस समय वहाँ पर (श्रीनगर में) काफी ठंड थी, तो गाना गाते मेरा भी गला अब बैठ गया था! मैंने चाय के लिए कहा तो, उनमे से जो एक बहुत ही सुन्दर थी और जिसका नाम शशि था, उठी और मेरे लिए चाय लाने चली गयी! मैंने भी टॉयलेट जाने का बहाना किया और बाहर आ गया! मुझे पता था कि उनका किचन बाहर की और था! मैं जानबूझकर रसोई में शशि के पीछे गया और बोला कि वो बहुत ही सुन्दर है! और क्या हम दोनों एकांत में कुछ बातें कर सकते हैं? उसने आहिस्ते से कहा कि, छत पर चलते हैं (जनवरी का महिना और पहाड़ो की ठंड) और हम दोनों छत पर आ गये! मैंने शशि का हाथ पकड़ा और कहा कि तुम मुझे अच्छी लगी, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी? उसने हाँ कहा!

उसके हाँ कहते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और किस करने लगा, उसने आहिस्ते से कहा कि मेरे मुह से शराब की गंध आ रही है! तो, मैंने उसको कसके पकड़कर उसके कपड़ो के अंदर हाथ डाल दिए और फिर हम दोनों एक दुसरे को चूमने लगे! हम लोगो करीब 15 मिनट्स तक एक दुसरे को चूमते रहे! फिर शशि ने कहा कि लोग, हम दोनों का इंतज़ार कर रहे हैं! फिर हम दोनों चुपचाप वहीं पर वापस आ गए! और जो प्रोग्राम चल रहा था उसमे शरीक हो गए! लेकिन अब शशि और मेरे बीच की दूरियाँ कम हो चुकी थी!

सुबह बरात की विदाई से कुछ समय पहले शशि मेरे पास आयी, और मुझे एकांत में ले जाकर किस किया और प्यार से कहा कि, तुम रंगीले शराबी कबाबी हो! फिर उसने मुझे एक रुमाल अपनी याद स्वरुप दिया! और मुझसे संपर्क में रहने को कहा! हम दोनों फिर करीब 3 साल तक संपर्क में रहे! मैं इस बीच में भी श्रीनगर जाता रहा और हम दोनों एक दुसरे के साथ खूब मस्ती करते! आज भी जब उसके दिए हुए नाम बारे के मैं सोचता हूँ जो उसने दिया था "रंगीला शराबी क़बाबी" अच्छा लगता है!



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